गौ सदियों से हमारी माता वृधाश्रम छोड़ी अपनी माता गौ सदियों से हमारी माता वृधाश्रम छोड़ी अपनी माता
मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार। मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार।
प्राणी प्राण में परमेश्वर का सत्य सत्यार्थ बुद्ध का दिव्य दिव्यार्थ। प्राणी प्राण में परमेश्वर का सत्य सत्यार्थ बुद्ध का दिव्य दिव्यार्थ।
भाई - भाई लड़ रहे और किसान है भ्रष्टाचार का बोलबाला मानवता का मुँह है आज काला। भाई - भाई लड़ रहे और किसान है भ्रष्टाचार का बोलबाला मानवता का मुँह है आज का...
वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है। वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है।
कैसे कह दूँ इनसे मुझ को प्यार नहीं है इनसे मेरा पुराना नाता है कैसे कह दूँ इनसे मुझ को प्यार नहीं है इनसे मेरा पुराना नाता है